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नागालैंड के 6 जिलों में 4 लाख मतदाताओं व 20 विधायकों ने आखिर क्यों नहीं किया मतदान ??? लोकसभा चुनाव 2024, (Lok Sabha Election 2024) नागालैंड का विवाद !

क्या है नगालैंड के जानता की नाराजगी का कारण :

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के रण की शुरूआत हो चुकी है। चुनाव के पहले चरण में, 19 अप्रैल को 21 अप्रैल और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोट डाले गए। इन तमाम सीटों को मिलाकर लगभग 60% वोटिंग हुई। लेकिन नागालैंड का एक हिस्सा (पूर्वी नागालैंड) ऐसा भी था जहां वोटर तो 4 लाख से अधिक थे लेकिन किसी ने भी मतदान नहीं किया, इनके साथ - साथ यहां के 20 विधायकों ने भी वोटिंग नहीं की। नागालैंड के पूर्वी भाग के 6 जिलों में मतदानकर्मी बूथों पर 9 घंटे इंतजार करते रहे, लेकिन एक भी मतदाता नहीं आए।


                                          अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? किसके कहने पर यहां के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार किया? नागावासियों की मांगे क्या है? इस घटना के बाद चुनाव आयोग की क्या प्रतिक्रिया रही? आइए सभी चीजों को विस्तार से जानने का प्रयास करते है । 

मतदान क्यों नहीं हुआ :

ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ENPO) , जो पूर्वी नागालैंड में आदिवासियों का प्रमुख संगठन हैं, 2010 से ही ENPO पूर्वी नागालैंड को नागालैंड से अलग होकर एक नए राज्य ' फ्रंटियर नागालैंड ' की मांग कर रहे है। इनका मौजूदा सरकार पर आरोप है कि नागालैंड के पूर्वी हिस्से के 6 जिलों (मोन, तुएनसांग, लॉन्गलेंग, नोकलोक, किफिरे और शामतोर) को पिछले कई वर्षों से आर्थिक व सामाजिक रूप से दूर रखा गया है। ENPO ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले भी बहिस्कार की सूचना सरकार को दिया था, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आश्वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया था , लेकिन फिर भी कोई समाधान नहीं निकला। तब जाकर 2024 के चुनाव में ENPO और कई आदिवासी संगठनों ने दोबारा से चुनाव के बहिष्कार व आपातकालीन बंदी का आह्वान किया। संगठन ने कहा - अगर कोई भी व्यक्ति मतदान करने जाता है और कानून - व्यवस्था की स्थिति पैदा होती है तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित वोटर की ही होगी। इनके बातों को यहां के लोगों ने गंभीरता से लिया। और यही कारण रहा कि 4 लाख वोटर्स में से किसी एक ने भी मतदान नहीं किया जिसका साथ यहां के विधायकों ने भी," वोट न देकर", दिया। सड़कों में केवल सुरक्षा कर्मी व मतदानकर्मी के वाहनों के अलावा पूरा सड़क शानसुन था । 



वोटिंग न होने के प्रति ENPO का जवाब:

ENPO ने अपने बयान में कहा - "वोट न डालने के निर्णय को लोगो ने गंभीरता से लिया। यह पूर्वी नागालैंडवासियो की भावनाओं और आकांक्षाओं को दिखाता है, जिन्होंने लोकतांत्रिक ढांचे में रहकर हमारे अधिकारों को छीनने का काम किया है"। 8 मार्च को ENPO -क्षेत्र की सात नागा जनजातियों की सर्वोच्च संस्था और इसके प्रमुख संगठनों ने चुनाव अभियान की अनुमति नहीं दी थी। इन्होंने कहा "वोटिंग न करने की पहल लोगों की ओर से की गई थी, किसी भी चुनाव में गलत प्रभाव डालने के उद्देश से कोई अपराध नहीं माना जा सकता है"। 

                                       ENPO ने अपने बयान में कहा कि वह चुनाव आयोग के सहयोग करने को तैयार है। 30 मार्च को ENPO ने 20 विधायकों व अन्य संगठनों के साथ बंद कमरे में बैठक की थी, जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार की बात दोहराई। पूर्वी नागालैंड विद्यायक संघ ने EMPO से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की सलाह दी।

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चुनाव बहिष्कार पर इलेक्शन कमिशन ने क्या कदम उठाया ?

नागालैंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वायसन आर ने, EMPO द्वारा आह्वान, सार्वजनिक आपातकाल को चुनाव के दौरान अनुचित प्रभाव डालने की कोशिश में देखते हुए EMPO को 'कारण बताओ नोटिस' जारी किया। उन्होंने IPC धारा 171(C) की उपधारा (1) के तहत कहा कि कोई भी स्वेच्छा से किसी चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करने की कोशिश करता है तो वह चुनाव में असर डालने पर अपराध करता है।


                                              नोटिस का जवाब देते हुए ENPO ने कहा - ' यह लोगों द्वारा एक "स्वऐच्छिक निर्णय" था, यह तर्क देते हुए की धारा 171(c) ke तहत कारवाई लागू नहीं है क्योंकि किसी भी चुनाव में अनुचित प्रभाव से संबंधित कोई अपराध नहीं किया गया है। हमने पहले ही लोकसभा चुनाव 2024 में हिस्सा न लेने का निर्णय चुनाव आयोग के सामने जाहिर कर दिया था।

                     "जय हिन्द, वन्दे मातरम"


 
                               



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