भारत की राजनीति में युवाओं का भविष्य

 भारत की राजनीति में युवाओं का भविष्य :



परिचय - 

विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक देश भारत जिसमें 2004 की एक रिपोर्ट के अनुसार यहां की जनसंख्या का 65% लोग 35 वर्ष से कम उम्र के हैं जो आधुनिक भारत समाज के उत्साह ऊर्जा और नए विचारों का प्रतीक माना जा सकता है, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि भारत की राजनीतिक में युवाओं को कभी अवसर दिया गया ? उन्हें प्रतिनिधित्व का हकदार समझ गया ?

 वर्तमान राजनीति में बेरोजगारी, तकनीकी, शिक्षा, पर्यावरण, लैंगिक समानता व ऐसे कई बिंदु है जिसकी स्तर राजनीतिक दलों ने नीचे गिराने का काम किया है। इस स्थिति में युवा व शिक्षित लोगों को राष्ट्र की निर्माण के लिए आगे आने की जरूरत है। इस लेख के माध्यम से हम युवाओं की राजनीति में भूमिका, उनके वर्तमान राजनीतिक स्थिति, आने वाले चुनौतियां एवं उनसे निपटने के उपाय के बारे में जानने का प्रयास करेंगे ।

भारत की राजनीति में युवाओं की वर्तमान स्थिति - 

भारतीय लोकतंत्र की जड़े तो काफी मजबूत है लेकिन इसमें युवाओं की जगह बुजुर्गों का बोलबाला है। 2019 के लोकसभा चुनाव में केवल 12% सांसद ही ऐसे थे जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम थी जो साफ जाहिर करता है कि भारत की राजनीति में युवाओं की हिस्सेदारी हाशिए पर है। राजनीति में देशभक्ति के स्थान पर परिवारवाद, जातिवाद व संप्रदायवाद ने देश के युवाओं के दिलों में राजनीति के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दलों में भी निर्णायक पदों पर ज्यादातर बुजुर्ग नेताओं ने ही कब्जा कर रखा है। अफसोस की बात तो यह है कि ये नेता, जो खुद की रक्षा ठीक से नहीं कर सकते, क्या वे लोग युवाओं को देशभक्ति या क्रांति की शिक्षा दे पाएंगे। छात्र राजनीति जो युवाओं को राजनीति में प्रवेश द्वार माना जाता था वह भी अब धूमिल होती जा रही है। सोशल मीडिया व डिजिटल प्लेटफॉर्म युवाओं की आवाज को नया मंच देने का काम करती है ,लेकिन यह निर्णायक राजनीति तक उन्हें पहुंचाने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं।

युवाओं की राजनीति में भूमिका - 

देश के विकास के लिए चतुर व ईमानदार लोगों को राजनीति में आने की जरूरी है, जिससे एक मजबूत सरकार के अलावा एक मजबूत विपक्ष भी समाज के कल्याण हेतु उत्तरदाई होगी। आज के युवा वर्ग जो तकनीकी दक्षता, डिजिटल क्रांति, बेरोजगारी, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल शिक्षा, बढ़ती जनसंख्या जैसे समस्याओं पर न केवल अनुभव रखते हैं बल्कि इसके संदर्भ में नवीन दृष्टिकोण भी रखते है। 

ऐसे में यदि युवाओं को राजनीति में भागीदारी मिले तो वे सोशल मीडिया, डेटा एनालिटिक व जनसंपर्क जैसे आधुनिक टूल्स का बेहतर उपयोग के साथ, न केवल जन भावनाओं के प्रेरणा बनेंगे बल्कि नीति निर्माता भी बन सकते हैं। पंचायत से लेकर संसद तक देश की राजनीति में आधुनिकी, प्रदर्शिता, परिणाममुखी, नई ऊर्जा एवं दिशा मिलेगा।

प्रमुख चुनौतियां एवं संभावित समाधान - 

चुनौतियां - 

परिवारवाद एवं वंशवाद : 

भारत की राजनीतिक परिवारवाद में ही लगभग सीमित हो गया है जिसे युवाओं को मौका ही नहीं मिल पाता है।

राजनीति में धान एवं बहुपल का प्रभाव :

चुनाव लड़ने के लिए भारी संसाधनों की जरूरत होती है जो आदर्शवादी और सिद्धांत वादी युवाओं को भाग लेने से हतोत्साहित करता है।

राजनीति के नकारात्मक धारणा :

वर्तमान के राजनीतिक भ्रष्टाचार झूठ व मानसिक गंदगी से भरा पड़ा है जिसमें युवा कदम रखने से भी डरते हैं।

शिक्षा व प्रशिक्षण की कमी :

नीति निर्माण संविधान द्वारा प्रशासनिक प्रक्रिया की समझ का अभाव युवाओं को राजनीति से दूर रखता है। 

समाधान - 

राजनीतिक दलों में युवाओं की भागीदारी :

राजनीतिक दलों को युवा उम्मीदवारों को चुनावी टिकट देकर नेतृत्व विकास कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। 

छात्र राजनीति का पुनर्गठन :

स्कूल कॉलेज एवं विश्वविद्यालय में छात्र संगठन चुनाव को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ताकि शुरू से ही छात्रों के मन- मस्तिष्क में राजनीति में जाने का विचार उत्पन्न हो सके।

युवा सांसद एवं इंटर्नशिप :

लीडरशिप ट्रेनिंग युवा सांसद एवं राजनीतिक इंटर्नशिप युवाओं को सीधे राजनीति से जोड़ सकती है। 

डिजिटल प्रणाली :

सोशल मीडिया के उपयोग से युवाओं में राजनीति के विचार, मुद्दे, आदि का संचार किया जा सकता है।

निष्कर्ष - 

भारत की राजनीति में युवाओं का भविष्य न केवल युवाओं के अपेक्षाओं से जुड़ा है बल्कि उनके सक्रिय व समर्थ भागीदारी से, पूरे देश के विकास, लोकतंत्र की मजबूती व राजनीति प्रक्रिया में सकारात्मक परिवर्तन व सुधार लाया जा सकता है।

यही समय है जब युवा न केवल वोट बैंक बनकर रहे बल्कि इस पेशा व वंशानुगत राजनीति को हटाकर, अपने नेतृत्व, बदलाव को स्थापित करें। युवा परिवर्तन की मांग ना करके बल्कि स्वयं परिवर्तन स्थापित करने के ठान ले।

भारतीय लोकतंत्र की राजनीति में युवाओं की भूमिका निर्णायक होनी चाहिए जिससे एक उत्तरदाई, विकसित व आधुनिक देश के निर्माण में मदद किया जा सके। देश का भविष्य उज्जवल तभी होगा जब युवा वर्ग न केवल अपना, बल्कि पूरे देश के भविष्य की दिशा बदलेंगे।


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