दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED ने क्या गिरफ्तार! क्या है शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का यह केस? जानिए इस रिपोर्ट के जरिए!
क्या है शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला:
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया। साथ ही ED के रिमांड बढ़ाने की आग्रह पर, केजरीवाल को अदालत ने 9 दिन के रिमाइंड (1 अप्रैल तक) बढ़ा दी। दोबारा जब केजरीवाल को 1 अप्रैल के दिन राउंड एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया तो उन्होंने अदालत के सामने अपनी दलीलें रखी लेकिन फिर भी अदालत उन्हें कोई राहत न देते हुए 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
ED ने बताया गिरफ्तारी का बताया कारण:
ED ने शराब नीति को केजरीवाल के दिमाग की उपज बताया:
ED ने दावा किया है कि BRS नेता के कविता के साथ मिलकर अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया समेत अन्य नेताओं ने शराब नीति में एक साजिश की थी। कारोबारी मगूंटा श्रीनिवासुलू रेड्डी, सरथ रेड्डी और के कविता वाले एक साउथ ग्रुप को आबकारी नीति 2021-22 के जरिए दिल्ली में 32 में से 9 जॉन मिले थे। आरोप है कि इस नीति के तहत दिल्ली सरकार ने होलसेल शराब कारोबारी के लिए प्रॉफिट मार्जिन को बढ़ाकर 12% और रिटेलर के लिए 185% कर दिया। इस साजिश के तहत 12% प्रॉफिट में से 6% होलसेलर से रिश्वत के रूप में आम आदमी पार्टी के नेताओं को मिलता था। साउथ ग्रुप ने विजय नायर (AAP पार्टी के कम्युनिकेशन इंचार्ज) को 100 करोड रुपए एडवांस में दिए। विजय नायर AAP पार्टी के तरफ से योजनाएं एवं साजिश बनाते थे।
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केजरीवाल की गिरफ्तारी पर आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता योगेंद्र सिंह यादव ने क्या कहा:
योगेंद्र सिंह यादव, जो 2015 तक आम आदमी पार्टी के नेता थे, पार्टी से निकाले जाने के बाद उन्होंने खुद की एक नई पार्टी "स्वराज इंडिया" का गठन किया जो किसानों के समस्याओं के लिए काफी गंभीरता से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा 2015 के बाद से AAP पार्टी में जब भी कोई विवाद उठता है तो पत्रकार वाले मेरे पास किसी मसालेदार बयान की उम्मीद में आते हैं। उन्हें लगता है कि AAP पार्टी से निकल जाने के बाद मैं उनके खिलाफ पर्दा उठाऊंगा। एक बार फिर ऐसा हुआ जब केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद कई न्यूज़ चैनलों के फोन आए। उन्हें लगता है कि मैं उनके शराब नीति को गलत बताते हुए उन्हें दोषी करार दूंगा। आकबारी घोटाले में उन्हें भ्रष्टाचारी बताऊंगा और उनकी गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए उनके नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांग करूंगा। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया।
मैंने सिर्फ इतना कहा कि दिल्ली के चुने गए मुख्यमंत्री को केवल आशंकाओं के आधार पर गिरफ्तार करने का कोई औचित्य आधार नहीं है। केजरीवाल की गिरफ्तारी पर चल रही बहस में इधर-उधर के सवालों से बचने और उचित सवाल उठाने की जरूरत है। सवाल यह नहीं है कि आम आदमी पार्टी की आबकारी नीति सही थी या नहीं, इस नीति को बनाते वक्त साउथ ग्रुप के व्यापारियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के आरोप सही है या नहीं, इसका फैसला अदालत सबूत के आधार पर करेगी। इस मामले में किसी को भी दोषी मान लेना या क्लीन चिट देना उचित नहीं होगा।
स्वराज इंडिया पार्टी के गठनकर्ता व AAP के पूर्व नेता योगेंद्र यादवयोगेंद्र यादव ने कहा कि सवाल तो यह है कि क्या जांच के दौरान चुनाव के बीचो-बीच दिल्ली के सीएम की गिरफ्तारी जरूरी थी। बेशक कानून में एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट को गिरफ्तारी का अधिकार है, लेकिन इस कानून के अधिकार का इस्तेमाल मामले की जांच हेतु किया जाता है या फिर यह राजनीतिक मकसद में बढ़ावा देता है? सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, आरोप चाहे जितना भी बड़ा हो, साबित होने से पहले किसी आरोपी की गिरफ्तारी सिर्फ तभी होगी जब आरोपी के भाग जाने या सबूत नष्ट करने का संदेह हो। अब अरविंद केजरीवाल के बारे में यह कोई नहीं कह सकता की मुख्यमंत्री रातों-रात भाग जाएंगे या फिर 2 सालों से चल रही इस केस में अचानक सबूत नष्ट कर देने की बात हंसी का पत्र साबित होता है। ED से सवाल बनता है कि अगर अरविंद केजरीवाल ED के समन का जवाब नहीं दे रहे थे तो उनके खिलाफ कोर्ट से करवाई का आदेश लिया जा सकता था। ऐसे भी जिस मामले में 2 साल से जांच चल रही हो उसमें चुनाव से पहले गिरफ्तारी करने की क्या कानूनी मजबूरी थी। चुनाव खत्म होने में बस 2 महीने का ही वक्त बचा था।
अगर शक के आधार पर गिरफ्तारी होने लगे तो भाजपा के कितने नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। क्या ED उन सब नेताओं को हिरासत में लगी जिनके खिलाफ भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और वे लोग बाद में भाजपा में शामिल हो गए? क्या इलेक्टोरल बॉन्ड में शक के आधार पर भाजपा के तमाम नेताओं और खुद ED और SBI के अफसरो को गिरफ्तार किया जाएगा जिन्होंने इलेक्टोरल बांड से भाजपा को चंदा मिलने के बाद ठेके दिए या फिर मामलों को खत्म कर दिया गया। इससे साफ जाहिर होता है कि यह गिरफ्तारी कानूनी नहीं राजनीतिक है। इसका मकसद भ्रष्टाचार की जांच करना नहीं बल्कि चुनाव से ठीक पहले अपने विरोधी पार्टी का मनोबल को तोड़ना चाहती है। बीजेपी यह कार्य झारखंड में पहले भी हेमंत सोरेन को जेल भेजकर कर चुकी है। यह चुनाव अब लोकतंत्र के साथ एक मजाक बन चुका है।
हाई कोर्ट ने केजरीवाल के गिरफ्तारी को सही बताया:
9 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बताया। साथ ही ED के पास पर्याप्त सबूत होने की बात कही। इसके बाद, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ 10 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। 15 अप्रैल को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 29 अप्रैल की तारीख दे दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल के वकील सिंघवी से जमानत अर्जी न करने पर पूछे तीखे सवाल:
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से पूछा कि उन्होंने ट्रायल कोर्ट में जमानत की याचिका क्यों नहीं डाली। इस पर केजरीवाल के वकील सिंघवी ने जवाब देते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है और बिना ठोस सबूत के गिरफ्तार कर लिया गया है। इस पर ED के वकील SV राजू ने कहा कि इन्होंने पिछली कस्टडी का भी विरोध नहीं किया था। नोटिस भेजे जाने पर उसको नजर अंदाज कर दिया गया।
अरविंद केजरीवाल ने भी गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए पूछा "मुझे गिरफ्तार क्यों किया गया है। मेरे खिलाफ कोई आरोप नहीं है। क्या मेरी गिरफ्तारी के लिए कोई पर्याप्त आधार है। किसी कोर्ट ने अब तक मुझे दोषी नहीं माना है फिर भी मुझे क्यों गिरफ्तार किया गया"। आरोप न होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल को कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली।
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