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Electrol Bond Scam: आजाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला या केवल अपवाह !

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड? बीजेपी के विपक्षी पार्टियां आखिर क्यों इसे आजाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला बता रहे है??? जानते है इस रिर्पोट में !!!

आइए इलेक्टोरल बॉन्ड को समझते हैं!

इलेक्टोरल बॉन्ड एक प्रकार का उपकरण है जो प्रोमिसरी नोट ( ऋण या अन्य वित्तपोषण के बदले में धनराशि चुकाने के लिए दो पक्षों के बीच लिखित व हस्ताक्षरित वादा) और ब्याज बैंकिंग टूल की तरह काम करता है। कोई भी भारतीय नागरिक या संगठन RBI द्वारा निर्धारित KYC मानदंडों को पूरा करने के बाद इन बॉन्डो को खरीद सकता है। इसे दानकर्ता द्वारा SBI की विशिष्ट शाखाओं से 1 हजार से लेकर करोड़ों तक के चेक या डिजिटल भुगतान के माध्यम से खरीदा जा सकता है।


                                          यह बॉन्ड 2017 के शुरुआत से लेकर 15 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित किए जाने तक भारत में राजनीतिक दलों के लिए फंडिंग का एक तरीका था। इसकी समाप्ति के बाद, मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को दानकर्त्ताओ और प्राप्तकर्ताओं की पहचान और अन्य विवरण, भारत के चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया।

इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी चंदा) एक घोटाला या केवल एक अपवाह ? आम जनता पर इसका क्या असर पड़ा !

मना की आप महीने के 50 हजार कमाते हैं, जिसमें 5 सदस्यों का परिवार है, और आपके कमाए से ही घर का खर्च बिजली, पानी, दावा, राशन, शिक्षा आदि चलता हो। अब क्या आप इस मंहगाई के दौर में किसी व्यक्ति को 2 - 3 लाख रूपए बिना कारण ही दे सकते है? सबका जवान ना में ही होगा। और अगर आप रूपए देते है तो इसका साफ कारण है कि या तो आपको ,पैसे न देने के कारण, दबाव दिया जाता हो, या फिर आपको डर है कि मेरे द्वारा की गई काली कर्तूतो को जनता के सामने उजागर न कर दे

                                              ठीक यही हाल है इलेक्टोरल बॉन्ड के आड़ में आकर, विभिन्न कंपनियों का राजनीतिक दलों को मुह - मांगी रकम देना। लेकिन सरकार कह रही है की ब्लैक मनी को हटाने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड आया था, लेकिन सुप्रिम कोर्ट के जजों ने इस स्कीम को असंवैधानिक बताया, साथ ही चुनावी बॉन्ड बेचने वाले एकलौते SBI से इलेक्टोरल बॉन्ड का सारा डेटा जनता के सामने रखने को कहा। SBI को डेटा सामने रखना पड़ा और इस घोटाले का पर्दाफाश हो गया

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राहुल गांधी ने इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी चंदा) को  सबसे बड़ा वसूली बताया :

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने BJP के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना को " दुनिया का सबसे बड़ा ' एक्सटोर्सन रैकेट '(जबरन वसूली गिरोह)' कह डाला"। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने के महीनों बाद, कंपनियों ने BJP को चुनावी चंदा के जरिए दान दिया है। SBI, ED मामले तो दर्ज करती है और फिर कॉपोरेट BJP को पैसे देते है। इस योजना का उद्देश्य कॉपोरेट्स को गुप्त रूप से पैसे देने की अनुमति प्रदान करना था।

                                           सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, क्विंट की टीम ने जब SBI के डेटा को खंगाला तो पता चला कि 20 से ज्यादा बड़ी फार्मा कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को करीब 500 करोड़ रूपए चंदा दिए। चंदा देने वाली टॉप 30 में से 14 ऐसी कंपनियां हैं जिन्हे Ed, CBI, IT जैसे सरकारी जांच एजेंसियों ने अपने दायरे में लिया था। इन कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के जरिए, BJP को 2471 करोड़ रूपए दिए और इनमें से 1698 करोड़ रूपए इन एजेंसियों के छापे के बाद आया।

                                           जून 2023 में ED ने सरथ रेड्डी " शराब नीति से जुड़ा मामला" को माफी देने के लिए अदालत में अर्जी लगाई और सरकारी ग्वाह बनाने को आग्रह किया। सरकारी गवाह बनने के बाद, आरोबिंदो फार्मा ने नवंबर 2023 में 25 करोड़ रुपए का एक चंदा दिया। इसी मामले में दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल जेल में हैं।

अरविंद केजरीवाल को हिरासत में ले जाती ED की टीम

दावा टेस्ट में फेल व पेपर लीक आरोपित कंपनियों ने झोली भर - भरकर दिया चंदा:

जांच के बाद पता चला कि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिल की बीमारियों का इलाज करने वाली कई बड़ी दावा की कंपनी " फार्मास्यूटिकल लिमिटेड, सिप्ला लिमिटेड, सनफार्मा लोबोरेट्रिज लिमिटेड और जाईडस हेल्थकेयर लिमिटेड " ड्रग टेस्ट में फेल हो गए। फिर दिन - पर - दिन दावा की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है और ऊपर से ये कंपनियां अपनी नाकामी छुपाने के लिए राजनीतिक दलों को करोड़ों का चंदा लिए देती हैं, ताकि इन कंपनियों पे कोई भी सरकारी जॉच न लगाया जाए।

                                          ठीक वैसे ही, दक्षिण भारत की एक कंपनी "SRI CHAITANYA STUDENTS FACILITY MANAGEME"  पर पेपर लीक के आरोप है। लेकिन इस कंपनी ने भी 11 जनवरी को एक - एक करोड़ के कई बॉन्ड खरीदे और 10 लाख के भी कई बॉन्ड पार्टियों को देने के लिए खरीदे। इस कंपनी ने कुल 6 करोड़ के बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को देने का काम किया

चुनावी बॉन्ड से किस पार्टी को कितना मिला चंदा ?

जांच में सामने आया की SBI द्वारा 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए। वहीं राजनीतिक दलों ने 22,030 बॉन्ड को कैश (9,188 करोड़ रुपए) कराया। चंदा हासिल करने वाली पार्टियों में BJP 5,212 करोड़ रुपए के साथ पहले स्थान पर रही। वही TMC 1,609 करोड़ रूपए के साथ दूसरे और कांग्रेस 1,421 करोड़ रुपए के साथ तीसरे नंबर पर रही। इसके अलावा BRS को 1,214 करोड़ रूपए, BJD को 775 करोड़ रूपए, DMK को 639 करोड़ रूपए मिले। जांच के अनुसार, सबसे ज्यादा डोनेशन देने वाली कम्पनियों में पहले नंबर पर फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने 1,368 करोड़ रूपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदें हैं। वही दूसरे नंबर पर मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है। कंपनी ने 966 करोड़ रूपए, क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड 410 करोड़, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड 377 करोड़, वेदांता लिमिटिड 376 करोड़, एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 225 करोड़ रूपए चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दिया।







" इस योजना की वजह से भारतीय और विदेशी कंपनियों द्वारा असीमित राजनीतिक चंदा दिए जाने और राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग करने के रास्ते मिल गए जिससे चुनावी भ्रष्टचार को बड़े पैमाने पर वैध बना दिया जाता है। (सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दी गई दलील)

घोटाले के आरोप को नकारते हुए सरकार का ब्यान:

सरकार का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता को बढ़ावा देते है और इसके जरिए काले धन की अदला - बदली नहीं होती । यह कहते हुए की ये योजना ' स्वच्छ धन के योगदान और टैक्स दायित्व के पालन ' को बढ़ावा देती हैं। आटोर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कहा कि इस मामले का सार्वजनिक और संसदीय बहस के दायरे में छोड़ दिया जाना चाहिए।

                      " जय हिन्द, वंदे मातरम"








                                           



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